लगता है कि रेलवे को यात्रियों की जान की परवाह बिलकुल नहीं है। हाल ही में हुए ट्रेन हादसों ने कई लोगों की जान ले ली, बावजूद इसके संरक्षा से जुड़े मामलों में रेलवे की लापरवाही जारी है। ताजा मामला, वॉकी-टॉकी का है। पश्चिम मध्य रेलवे (WCR) के आधीन भोपाल रेल मंडल के आधे से ज्यादा वॉकी-टॉकी खराब हो चुके हैं और जोन में बैठे अधिकारी केवल फाइल पर टिप्पणी ही लिख रहे हैं।
द करंट स्टोरी को प्राप्त जानकारी अनुसार, भोपाल रेल मंडल के आधे से ज्यादा वॉकी-टॉकी की कॉडल लाइफ (COdal Life/Service Life) खत्म हो चुकी है। रेलवे बोर्ड के सर्कुलर नंबर 2002/AC-11/1/10 दिनांक 24/05/2006 (देखने के लिए क्लिक करें) के अनुसार वॉकी-टॉकी के उपयोग की औसत आयु 5 से 8 वर्ष ही है। उसके बाद इन्हें उपयोग में नहीं लाया जा सकता।
लेकिन भोपाल रेल मंडल में उपलब्ध लगभग 1200 वॉकी-टॉकी में से लगभग 600 की कॉडल लाइफ पूरी हो चुकी है। इसको लेकर कई बार मंडल के अधिकारियों ने पश्चिम मध्य रेलवे के अधिकारियों को लिखा, लेकिन एक साल से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी जोन में फाइल अटकी हुई है। द करंट स्टोरी के पास इससे संबंधित दस्तावेज उपलब्ध हैं।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कॉडल लाइफ पूरी होने के बाद नए उपकरण खरीदने के लिए जोन को पत्र लिखा गया। लेकिन जोनल स्तर पर बैठे अधिकारी लगातार आपत्ति लगाकर केवल पत्राचार ही कर रहे हैं।
वहीं पश्चिम मध्य रेलवे की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी गुंजन गुप्ता ने द करंट स्टोरी को बताया कि यह मामला जोन स्तर पर पिछले लगभग 3 महीनों से विचाराधीन है।
लोको पायलट और गार्ड नहीं कर पा रहे संपर्क
रेलवे से जुड़े सूत्रों ने द करंट स्टोरी को बताया कि पुराने हो चुके वॉकी-टॉकी में ठीक से आवाज नहीं आती, जिससे ट्रेन के लोको पायलट और गार्ड में संपर्क नहीं बन पाता। वहीं स्टेशन आने पर भी लोको पायलट कंट्रोल से भी बात नहीं कर पाता। ऐसी स्थिति में लोको पायलट को रिस्क लेकर ट्रेन चलानी पड़ती है। इसको लेकर कई बार डिपो इंचार्ज ने संबंधित अधिकारियों को अपनी शिकायत भी प्रेषित की है।
रेलवे से जुड़े सूत्रों ने द करंट स्टोरी को बताया कि पुराने हो चुके वॉकी-टॉकी में ठीक से आवाज नहीं आती, जिससे ट्रेन के लोको पायलट और गार्ड में संपर्क नहीं बन पाता। वहीं स्टेशन आने पर भी लोको पायलट कंट्रोल से भी बात नहीं कर पाता। ऐसी स्थिति में लोको पायलट को रिस्क लेकर ट्रेन चलानी पड़ती है। इसको लेकर कई बार डिपो इंचार्ज ने संबंधित अधिकारियों को अपनी शिकायत भी प्रेषित की है।
2007 से 2010 के बीच हुई थी खरीदी
सूत्रों ने यह भी बताया कि लोको पायलट और गार्ड को दिए जा रहे वॉकी-टॉकी की खरीदी वर्ष 2007 से 2010 के बीच हुई थी। उसके बाद से ही इनके लिए खरीदी नहीं की गई है। आपको बता दें कि सिग्लन फेल होने या अन्य किसी आपात स्थिति के दौरान लोको पायलट केवल वॉकी-टॉकी से ही कंट्रोल से संपर्क करता है। वहीं लोको पायलट को ट्रेन चलाते वक्त फोन उपयोग करना वर्जित है, ऐसा करते पाए जाने पर पायलट की नौकरी तक जा सकती है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि लोको पायलट और गार्ड को दिए जा रहे वॉकी-टॉकी की खरीदी वर्ष 2007 से 2010 के बीच हुई थी। उसके बाद से ही इनके लिए खरीदी नहीं की गई है। आपको बता दें कि सिग्लन फेल होने या अन्य किसी आपात स्थिति के दौरान लोको पायलट केवल वॉकी-टॉकी से ही कंट्रोल से संपर्क करता है। वहीं लोको पायलट को ट्रेन चलाते वक्त फोन उपयोग करना वर्जित है, ऐसा करते पाए जाने पर पायलट की नौकरी तक जा सकती है।
FAO और CSTE ने अटकाई फाइल!
सूत्रों ने बताया कि मंडल अपने स्तर पर पिछले लगभग एक साल से नए वॉकी-टॉकी खरीदने के लिए जोन को लिख रहा है। लेकिन CSTE (चीफ सिग्नलिंग एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर) एवं FAO (फायनेंस एडमिनिस्ट्रेटिव आॅफिसर) ने कई आपत्ति लगाकर फाइल को अटका रखा है।
सूत्रों ने बताया कि मंडल अपने स्तर पर पिछले लगभग एक साल से नए वॉकी-टॉकी खरीदने के लिए जोन को लिख रहा है। लेकिन CSTE (चीफ सिग्नलिंग एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर) एवं FAO (फायनेंस एडमिनिस्ट्रेटिव आॅफिसर) ने कई आपत्ति लगाकर फाइल को अटका रखा है।
- https://www.thecurrentstory.com/exclusive/more-than-50-percent-walkie-talkie-sets-completed-their-codal-life-WCR-holds-file