भारत में दिवाली और छठ पर्व की शुभ घड़ियाँ आते ही, लाखों लोग अपने घरों को लौटने की तैयारी में लग जाते हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश और बिहार से जुड़े कई लोग, अपने गृहप्रदेशों में समय बिताने के लिए विशेष रेलखाते भूलते ही नहीं। लेकिन इस दौरान एक बड़ी समस्या हर साल ही सामने आती है — रेलवे टिकटों की भारी कमी।
1. क्यों होती है यह समस्या?
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त्योहारों के समय रेलवे में यात्री संख्या में अचानक वृद्धि होती है।
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अधिकांश लोग मिलने वाले रविवार, छुट्टी या लंबी छुट्टियों का लाभ उठाते हुए यात्रा करना चाहते हैं।
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रेल मंत्रालय हर वर्ष कई अतिरिक्त (स्पेशल) ट्रेनें चलाता है, लेकिन वे अक्सर भीड़ के मुकाबले अपर्याप्त होती हैं।
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नियमित (रेगुलर) ट्रेनों की कोचों एवं सीटों की संख्या सीमित होती है।
2. इस बार की स्थिति कैसी है?
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दिल्ली, मुंबई और गुजरात से यूपी/बिहार आने वाली अधिकांश ट्रेनों में “नो रूम” की स्थिति बनी हुई है।
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यहां तक कि वेटिंग टिकट भी नहीं मिल पा रहे हैं।
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रेलवे ने लगभग 12,000 अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, फिर भी भीड़ को काबू नहीं किया जा सका।
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कई रेगुलर और स्पेशल ट्रेनों में 30 अक्टूबर तक “फुल” की स्थिति बनी रहने की संभावना जताई जा रही है। AajTak
3. प्रभावित रूट और नामी ट्रेनें
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दिल्ली–पटना मार्ग पर महानंदा एक्सप्रेस, अमृत भारत एक्सप्रेस, दानापुर फेस्टिवल स्पेशल आदि ट्रेनों में टिकट नहीं मिल रहे हैं।
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मुंबई–पटना रूट पर पाटलिपुत्र एक्सप्रेस, एलटीटी-दानापुर स्पेशल, लोकमान्य तिलक गुवाहाटी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में “नो रूम” की स्थिति है।
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गुजरात (सूरत, अहमदाबाद आदि) से पटना आने वाली ट्रेनों में भी हालात गंभीर हैं।
4. यात्रियों के लिए सुझाव
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यात्रा की योजना अग्रिम रूप से बनाएं और टिकट खुलते ही बुक करें।
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यदि नियमित ट्रेनें न मिलें, तो स्पेशल ट्रेनों की बुकिंग पर नजर रखें।
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फ्लेक्सिबल तारीखों पर यात्रा करें (अगर संभव हो तो पर्व से 1-2 दिन पहले या बाद की तिथि चुनें)।
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वैकल्पिक मार्गों (बस, राज्य परिवहन) या घरेलू उड़ानों की भी जांच करें।
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साझा या मंडलीय यात्रा (छात्र गेस्टहाउस, साझा वाहन) विकल्पों पर विचार करें।
5. निष्कर्ष
दिवाली और छठ जैसे त्यौहारों पर घर लौटने का जुनून लोगों में बहुत अधिक होता है। इसके बावजूद रेलवे संसाधन सीमित हैं, जिससे टिकट की भारी समस्या होती है। हालांकि रेलवे द्वारा चलाए जाने वाले अतिरिक्त स्पेशल ट्रेन प्रयास तो हैं, लेकिन उन्हें यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करना कठिन है। यदि हम पहले से सही योजना बनाएं तथा वैकल्पिक विकल्पों को देखें, तो इस समस्या का सामना बेहतर तरीके से किया जा सकता है।

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